सम्बंधित लेख,
प्लास्टिक मनी किसे कहते हैं? | Plastic Money kya hota hai
दोस्तों, जैसे की हम जानते है कि आवश्यकता ही आविष्कार की जननी होती है, जैसे – जैसे हम इंसानो की किसी भी चीज़ की आवश्यकता होने लगती है वैसे ही हमारी रिसर्च चालू हो जाती है और हम कुछ दिनो में अपने मुक़ाम तक पहुँच जाते है।
अभी रीसेंट में देखे तो करोना वाइरस पूरी दुनिया को तबाह कर रखा है तो हमारे वैज्ञानिको (साईंन-टिस्टो) ने 1 सालो के भीतर ही उसके निवारण के लिए वैक्सीन तैयार कर लिए और अभी पूरी दुनिया में बहुत प्रकार के वैक्सीन हो चुके और ज़ोर – सोर से वैक्सिनेशन चल रहा है।
वैसे ही हमारे जनसंख्या में बहुत ज़्यादा बृधि होने के करना हम इंसानो के दैनिक जीवन में ज़रूरतों के माँग ज़्यादा बाड गया है। उधाहरण के लिए देखे तो लकड़ी के बने सामग्री – बेड, ऐल्मीरा, कुर्सी, टेबल, दरवाज़ा, इत्यादि और इनके आवश्यकता पूरा करने के लिए हमारे जंगलो की अनधाधुँध कटाई हो रही है जिसका प्रभाव पूरी दुनिया को पुगतना पड सकता है हमारे पर्यवारन दूसित हो रहा है। सरकार/वन विभाग के लाख कोसिसो के ववजूद जंगलो की कटाई कम नहि हो रही है फिर भी फर्नीचर की डिमांड बड़ रहा है।
जंगल कटाई कम के लिए हम इंसानो ने बहुत सारे चीजों का इस्तेमाल करना उचित समझा और हम जाहा जो फ़िट हो सके वहा उसके अनुशार बने चीजों का इस्तेमाल करना चालू कर दिया है।
जैसे – हम कुर्सी, टेबल, बाथरूम के दरवाज़ा ये सब के लिए प्लास्टिक इस्तेमाल करने लगे है। बेड के पैरो के लिए लोहे का इस्तेमाल करने लगे है, ऐल्मीरा, दरवाज़े, खिड़की एत्यादि के लिए लोहे या स्टील का इस्तेमाल करने लगे है।
दोस्तों, इस लेख का मेन सार प्लास्टिक है इसलिए इसमें हमलोग देखेंगे की प्लास्टिक से क्या फ़ायदे है और क्या नुक़सान है और इसे कैसे और कहा इस्तेमाल करना हम सभी के लिए उचित होगा।
प्लास्टिक क्या होता है | Plastic kya hota hai?
प्लास्टिक हमारे दैनिक जीवन में इस तरह जगह बना लिया है, की अगर हम कोसिस करे की केवल १ दिन बिना प्लास्टिक के अपना जीवन व्यतीत करे तो ओ दिन बहुत मुसकिल होगा, याहा तक की हम एक दिन उपवास कर सकते है लेकिन बिना प्लास्टिक के इस्तेमाल के रहना मुसकिल हो जाएगा। हमारे घर में जितने भी आरामदेय वस्तुओं का प्रोयोग किया जाता है उसमे प्लास्टिक का उपयोग ज़्यादा किया जा रहा है। जैसे – इलेक्ट्रिसिटी बोर्ड, इलेक्ट्रिकल वीरे के कवर, घड़ी, कुर्सी, टेबल, बाल्टी, जग, वोटर टैंक, वोटर नल, वोटर बोतल, कैरी बैग, बच्चों के खिलौनों, रसोई के बहुत सारे समान, बाथरूम के स्टैंड और भी समान, मेडिसिन और हॉस्पिटल में इस्तेमाल होने ज़्यादा तर समान प्लास्टिक के ही बने होते है।
अगर देखा जाए तो प्लास्टिक हमारे जीवन में इस तरह जगह बना लिया है की इसके बिना एक दिन भी बिताना पहाड़ टूटने के बराबर होगा।
प्लास्टिक बहुत सारे चीजों से बनता है जिसमें कोयला, सेल्ययुलोज, नमक, प्राकृतिक गैस और कच्चा तेल मेन/प्रमुख होता है। ऐसा माना जाता है की कच्चा तेल, प्लास्टिक निर्माण में मुख्य रोले प्ले करता है। लेकिन कच्चा तेल से प्लास्टिक निर्माण की प्रक्रिया बहुत ही जटिल/कठिन होता है।
पृथ्वी के भीतर से बहुत सारे, कच्चा तेल निकलता है, जिसका रि-फ़ाइन करके बहुत सारे चीज़ें बनाया जा सकता है जैसे:
- डिजल
- किरोसिन
- ‘नफ़तहा – Naphtha गैस एत्यादि।
इसमें से नफ़तहा – Naphtha बिखंडन करके प्लास्टिक का निर्माण किया जाता है। इसमें बहुत सारे प्रक्रिया, केमिकल और मसीनरि का इस्तेमाल किया जाता है।
हमलोग इसके बारीक चेमेस्ट्री में नहि जाएँगे, क्योंकि इस लेख का मतलब है प्लास्टिक और उसके इस्तेमाल, फ़ायदे और नुक़सान, कहा इस्तेमाल करना चाहिए और कहा नहि करना चाहिए।
प्लास्टिक के फ़ायदे। प्लास्टिक के लाभ | Benefit of Plastic
देखा जाए तो प्लास्टिक का बहुत सारे फ़ायदे है, क्योंकि इसपर पानी और हवा का कोई खाश असर नहि होता है। इसके साथ ही ये बहुत हल्का और लचीला होता है। एवं विजली/इलेक्ट्रिसिटी का कुचालक होता है इसलिए ये इलेक्ट्रॉनिक प्रॉडक्ट्स बनाने में बहुत ही इस्तेमाल किया जाता है।
हेल्थ-केयर/मेडिकल विभागों में बहुत ही बड़े पैमाने पर इस्तेमाल किया जाता है जैसे: डिस-पोसेबल रिसिंज बनाने में, गलूकोस के बोत्तल, सिरप के बोत्तल पहले ये काच के बॉटल में आते थे तो थोड़ा सा कही चोट लगने पर भी भारी – भरकम रपयो का नुक़सान होता था।, पकेगिंग और बहुत कुछ बनाने के लिए मेडिकल विभागों में बड़े पैमाने पर प्लास्टिक का इस्तेमाल किया जाता है।
घरों में कीचेन के बहुत सारे अप्लाइयन्स जैसे: प्लास्टिक बोत्तल, मसाले रखने के लिए इस्तेमाल होने वाले बॉक्स, गिफ़्ट रैपर, चायें के प्लास्टिक का कप, प्लेट और घर में इस्तेमाल होने वाले टेबल, कुर्सी, इलेक्ट्रॉनिक आइटम, घरों में छोटे पौधे लगने के लिए बॉक्स, बाल्टी, जग, पानी का टैंक एत्यादि।
किराना दुकानो में देखा जाए तो लगभग – लगभग 90% सामग्री प्लास्टिक के पैकेगिंग और बोतल का इस्तेमाल होता है, मिल्क के थैला, सरसों तेल, पानी के बोत्तल और ऐसे बहुत सारे प्रोडक्ट है जो कि बिना प्लास्टिक का सम्भव ही नहि हो सकता।
अगर लाभ के बात करे तो हर कदम पर ईसका इस्तेमाल किया जाता है और अभी तक इसका बिकल्प भी नहि खोजा गया है।
इलेक्ट्रॉनिक प्रोडक्ट में भी बहुत बड़े पैमाने पर इस्तेमाल किया जाता जैसे: तार के कवर, इलेक्ट्रिसिटी बोर्ड, टेबल फ़ैन के स्टैंड और इसके पार्ट एत्यादि।
ये वारिस के सीजन में हम – पानी से प्रटेक्ट कर सकता है इसलिए आप इसको बहुत सारे जगह पर देख सकते है जिसको अलग – अलग उसे के हिसाब से वारिस के पानी से बचने के लिए बनाया गया है जैसे: तिरपाल, वॉटर प्रूफ़ जैकेट, ओड़ने के लिए कपड़े जैसे वस्त्र भी प्लास्टिक के बने होते है जो हमें वारिस से बचने में सहयात करता है।
प्लास्टिक का सबसे बढ़िया फ़ीचर यह है की ये किसी भी प्रोडक्ट के साथ रीऐक्शन नहि करता है। अगर इसका लाभ के बात करे तो 1000 लाभ है वही 1000 नुक़सान भी है।
प्लास्टिक के नुक़सान । प्लास्टिक के इस्तेमाल का नुक़सान
अगर प्लास्टिक के लाभ के बात करे तो 1000 लाभ है वही 1000 नुक़सान भी है। प्लास्टिक का नेचर ऐसा होता है की इसपर पानी – हवा और सूर्य के प्रकाश का भी बहुत कम असर पड़ता है, इस फ़ीचर के वजह से ये अगर प्रॉपर तरीक़े से रि-साइकल नहि किया गया और ऐसे ही फ़ेक दिया जाए तो वहा के ज़मीन को निस-उत्पाद कर देता है।
निछे कुछ बिंदुओ पर धायन देते कहा ये ज़्यादा प्रभावीत करता है। प्लास्टिक के सबसे बड़े नुक़सान ये होता है की इसको ख़त्म होने में 1000 सालो लग जाते है।
1. अगर अप प्लास्टिक ऐसे ही किसी पैदावार ज़मीन पर फ़ेक देते है तो जिस जगह पर ये पड़ेगा वहा कोई भी फसल नहि उगेगा क्योंकि ये बहुत दिनो के बाद भी नहि सड़ता-गलता है।
2. ऐसे हज़ारों केस देखे है जिसमें जनवरो जैसे: गाय-बैल, भैंस, कुते इत्यादि को प्लास्टिक खाने से मौत हो गयी है। जब डॉक्टरो ने उनको ऑपरेशन करके देखे तो बहुत ज़्यादा मात्रा में प्लास्टिक पाया गया, और जानवरो द्वारा ज़्यादा मात्रा में प्लास्टिक होने के करना उसको पाचाने असमर्थ हो गये और अपने जान से हाथ धो बैठे।
इसके पीछे ये कहानी होती है की हम इंसान प्लास्टिक के थैले में हमारे द्वारा ख़राब खाना, ऐसे ही फ़ेक देते है और जानवर उसे खाने के च्छ्कर में प्लास्टिक भी खा जाते है।
इसलिए कभी अगर ऐसा हो तो आप खाना को अलग करे और प्लास्टिक को अलग करके फेंके, वेस्ट खाने को अलग कही रख दे जिससे जानवर आसानी से खा सके और अपने प्राण का रक्षा कर सके।
3. कुछ प्लास्टिक ऐसे भी होते है जिसमें से कुछ ज़हरीली रसायन निकलता है जो हमलोगो को नुक़सान पहुँचते है और वायु प्रदसं के मुख्य कारण बनता है।
4. इसको आग से जलाकर भी पूरी तरह नस्ट नहि किया जा सकता और जलाने पर बहुत भारी मात्रा में वायु प्रदूषण करेगा, अरु कैन्सर के मुख्य कारण बनता है।
5. प्लास्टिक में पैक खाना खाने से दामा, मस्तिष्क, गुर्दे जैसे बीमारी होती है।
6. इसका सबसे ज़्यादा नुक़सान हमारे जल जीवों को होता है क्योंकि जिसने भी सहरी-ग्रामीण क्षेत्र के प्लास्टिक होते है ओ लगभग – लगभग 90% से ज़ायद निदियो में प्रवाहित कर दिया जाता है और निदियो के रास्ते समुंदर इसके वजसे से जल प्रदूषण होता है, छोटे – छोटे जल जीव तो जल प्रदूषण ही अपना प्राण त्याग देते है।
बड़े जलचर उस प्लास्टिक को कोई छोटा – जीव समझकर खा जाते है और फिर उनकी मौत हो जाती है। जल प्रदूषण से इंसानो को भी बहुत नुक़सान होता है, अभी इस दुनिया में कोई भी ऐसा नदी नहि है जिसका पानी बिना रि-फ़ाइन के पीने लएक हो।
जल प्रदूषण सभी प्राणी के लिए संकठ बना हुआ है, हम मनुष्य सभी प्रणियो में स्रेठ है तो हमलोग तो जल को रि-फ़ाइन करके इस्तेमाल कर लेते है लेकिन और जीव-जंतु ऐसा करने में असमर्थ है और जल प्रदूषण का सीकार हो जाते है।
हम इंसान अपने स्वार्थ के लिए किसी पर भी रहम नहि करते, हमें ऐसा नहि करना चाहिए हमारा कोई अधिकार नहि की हम किसी और प्राणी के लिए संकठ उत्पन करे।
7. प्लास्टिक के भारी मात्रा में प्रडक्शन भी एक इस्तेमाल के बड़वा देने के जीमेवार है, इसका प्रडक्शन जाहा प्लास्टिक बिना कम हो सकता है वहा तो कभी भी नहि करना चाहिए।
8. प्लास्टिक में बंद खाना – पानी, और खाने वाले प्रोडक्ट लम्बे समय से इस्तेमाल करने से कई सारे ख़तरनाक बीमारियों का सामना करन पड सकता है जैसे: कैन्सर, नपुंसकता, लीबर प्रॉब्लम पेट से सम्बन्धी बीमारियाँ इत्यादि।
प्लास्टिक कहा इस्तेमाल करना चाहिए?
अगर देखा जाए तो जिस स्पीड से अभी प्लास्टिक इस्तेमाल हो रहा है उसके हिसाब से आने वाले 50-100 सालो में ये दुनिया रहने लएक नहि रहेगी, लगभग – लगभग 28% लोगों के जान हमारे भारत से प्लास्टिक के करने होने वाले प्रदूषण से होता है।
वैसे देखा जाए और सम्भव होता तो प्लास्टिक इस्तेमाल ही न के बराबर करना चाहिए था लेकिन ये सम्भव भी नहि है और कुछ सर्तो के साथ भी इस्तेमाल किया जाए तो सही रहेंगे, और हम प्लास्टिक के वजह से होने वाले नुक़सान को कम कर पाएँगे।
1. जाहा बिना प्लास्टिक के कम हो जाए और प्लास्टिक के विकल्प उपलब्ध हो वहा आप प्लास्टिक कभी न इस्तेमाल करे।
2. मेडिकल प्रोडक्ट में इस्तेमाल करने की अनुमति होनी चाहिए लेकिन वहा भी वैसे जगह जाहा इस्तेमाल का विकल्प उपलब्ध न हो।
3. दूध के थैले और लिक्विड प्रोडक्ट जो सभी के लिए बहुत ज़रूरी/महत्वपूर्ण हो।
4. वैसे जगह जाहा से रि-साइकल होने का 99.9% ग्रांटि हो जैसे: मोबाइल के चार्जर, लैप्टॉप के चार्जर, कुर्सी, टेबल एत्यादि।
5. ग़रीबों के लिए तिरपाल जो वारिस के पानी से ग़रीबों रक्षा कर सके।
6. बैंकिंग सेक्टर में ATM मशीन
7. आर्मी के लिए अगर इस्तेमाल हो रहा होगा तो वहा किया जा सकता है
प्लास्टिक का इस्तेमाल कहा नही करना चाहिए?
1. कैरी बैग के रूप में कभी न करे अगर, दुकानदार आपको कैरी बैग के लिए प्लास्टिक दे भी तो न ले, और अपना योगदान दे सवक्ष भारत बनाने में करे।
2. खाने-पीने के आइटम के लिए कभी ना करे जैसे – वाटर बोतल के लिए कोई और विकल्प खोजे।
3. पैकेजिंग के लिए कभी ना करे।
4. प्लास्टिक से बने डिब्बे/बॉक्स कभी इस्तेमाल न करे अगर, पौधे लगाना है तो मिट्टी से बने बर्तन में करे।
5. कोई भी थैला, कैरी बैग , पैकिंग, कवर कभी ना करे।
प्लास्टिक से पीछा छुड़ाने के लिए क्या करना होगा?
हमारे देश में प्लास्टिक की इस्तेमाल के समदर्भ में सतर्खता दिखाया जा रहा है। और दो बड़े राज्यों, उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र में प्लास्टिक की इस्तेमाल पर पाबंदी लगा दी है, लेकिन सिर्फ़ अफ़िशल है अभी मैं दोनो राज्यों में विज़िट किया था प्लास्टिक के इस्तेमाल तनिक भी कमी नहि आई, इसलिए प्लास्टिक के इस्तेमाल रोकने या कम करने के लिए केवल गवर्न्मेंट पर नहि छोड़ना चाहिए, हम सभी जनता को भी ये फ़र्ज़ बनता है और बिना हमारी सहयोग के सरकार भी प्लास्टिक के इस्तेमाल कम नहि कर पाएगी।
भारत में प्लास्टिक के इस्तेमाल पर पाबंदी लगाए जाने की माँग किया जा रहा है, लेकिन केवल भारत से ही नहि होगा, पूरा विश्व को प्लास्टिक के इस्तेमाल पर पाबंदी लगाए जाने चाहिए।
कितने कम्पनी है जो प्लास्टिक के उत्पादन कम करने में लगी हुई है, इसके लिए ओ अपने फ़ायदे पर भी समझौते करने पर तैयार है, कोका-कोला प्लास्टिक 38,250 टन पलटिक केवल ब्रिटेन में उत्पादन करती थी, और 110 अरब बोत्तल तैयार करती थी जो केवल एक बार यूज़ में आता था।
अब कोका-कोला ने बोला की हम ऐसे प्लास्टिक का निर्माण करेंगे जो रिसाइकिल किया जाएगे।
दुनिया के क़रीब 60 देशों ने प्लास्टिक की थैलियों जो सिर्फ़ एक बार इस्तेमाल होने वाली प्लास्टिक के उत्पादन पर क़ाबू पाने के लिए क़ानून बनाए हैं।
सिंगल यूज प्लास्टिक को पूरी तरह बैन करना
ऐसे ही स्ट्रोंग क़ानून बनाना चाहिए, की बिना रिसाइकिल वाला प्लास्टिक का निर्माण घरेलू इस्तेमाल के लिए बैन कर देना चाहिए।
अगर, प्लास्टिक यूज़ ही करना पड़े तो मोटी प्लास्टिक यूज़ करे और इसका इस्तेमाल के बाद साफ़ करके अपने पास रखे और इसे दुबारा यूज़ और बार बार यूज़ जब तक करे तब तक ये वेस्ट न बैन जाए उसके बाद इसको रिसाइकिल प्रॉसेस के लिए एकत्रित कर ले।
इससे हम बार – बार, नयी – नयी प्लास्टिक यूज़ नहि करना पड़ेगा एक ही प्लास्टिक बहुत लम्बा समय तक चलेंगे, इससे भी हम प्लास्टिक यूज़ पर कुछ कंट्रोल कर पाएँगे।
अलग – अलग कचरे की बॉक्स बनाए
प्लास्टिक से बने कचरे को अलग रखे और उसे एक ही स्थान पर फेंके, ताकि उसे डिस्पोज़्ड करने में आसानी होगी।
हमारे देश में ही लगभग 10 लाख टन प्लास्टिक निकला है जिसमें 40% प्लास्टिक चुने ही नहि जाते क्योंकि इसे प्रापर्ली रखा नहि जाता है इधर-उधर फ़ेक दिया जाता है।
विश्व में प्लास्टिक कितना इस्तेमाल होता है
विश्व स्थर पर बात करे तो.
- पृथ्वी पर लगभग 903 करोड़ टन प्लास्टिक मौजूद है, इतने प्लास्टिक से 9 एफिल टॉवर खड़े/बनाए जा सकते है जिसका ऊँचाई 324 मीटर है और फ़ीट में इसकी ऊंचाई 1063 फ़ीट है।
- लगभग 1.3 करोड़ टन प्लास्टिक कचरा हर साल सीधे समुद्रों में गिराया जा रहा है।, इसका कितना घातक परिणा हो सकता है इसका अंदाज़ा भी नहि लगाया जा सकता।
- लगभग 1 लाख करोड़ प्लास्टिक बैग हर वर्ष उपयोग हो रहे हैं।, आप सोच सकते है, की कितने बड़े लेबल पर इसका इस्तेमाल किया जा रहा है।
- अगर इसका औसत निकाला जाए तो लगभग 150 प्लास्टिक बैग हर व्यक्ति इस्तेमाल करता है।
- 8% जीवाश्म ईंधन प्लास्टिक के निर्माण में इस्तेमाल हो रहा है,आप सोच सकते है कि विश्व का 8% ईंधन प्लास्टिक निर्माण में इस्तेमाल किए जाते है, तो कितने बड़े लेबल पर इसका उत्पादन किया जा रहा है।
- अगर देखा जाए तो पिछले 50 वर्ष में हमने अगर किसी चीज का सबसे ज्यादा इस्तेमाल किया है तो वो है प्लास्टिक। इतना ज्यादा इस्तेमाल किसी भी दूसरे वस्तु का नहीं किया गया है।
- 1960 में दुनिया में 50 लाख टन प्लास्टिक बनाया जा रहा था। लेकिन आज यह मात्रा बढ़कर 300 करोड़ टन के पार हो चुकी है। यानी लगभग हर व्यक्ति के लिए करीब आधा किलो प्लास्टिक हर वर्ष बन रहा है।
- ऐसा माना जाता है की अभी समय में दुनिया में 12 अरब टन प्लास्टिक कचरा जमा हो चुका, जिसको सफ़ाई करने में कई वर्ष लग जाएँगे।
हमारे देश में, विदेश से भी आता है प्लास्टिक का कचरा
- दुनिया के 25 से ज्यादा देश अपना 1,21,000 मीट्रिक टन कचरा किसी न किसी रूप में भारत भेज देते हैं। जो कि अपने आप में ये बहुत बड़ा वलुएम है। पर्यावरणविदों और विशेषज्ञों का कहना है कि अब समय आ गया है कि सरकार को प्लास्टिक प्रदूषण फैलाने वालों के खिलाफ सख्त कदम उठाना चाहिए।
- हमारे देश में 55,000 मीट्रिक टन प्लास्टिक का कचरा पाकिस्तान और बांग्लादेश से आयात किया जाता है। इसे आयात करने का मकसद रीसाइक्लिंग करना है। इन दोनों देशों के अलावा मिडिल ईस्ट, यूरोप और अमेरिका से भी इस प्रकार का कचरा आता है।
- हम भारत के बात करे तो प्लास्टिक इस्तेमाल करने वाला भारत तीसरा बड़ा देश है।
- केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की वार्षिक रिपोर्ट के अनुशार वर्ष 2015-16 में भारत में 15 लाख टन से अधिक प्लास्टिक का उत्पादन प्रतिवर्ष हुआ है।
- अलग-अलग जगहो पर प्लास्टिक बनाने वाली कुल कम्पनी/फ़ैक्टरी 2243 हैं और प्लास्टिक कंपोस्ट करने वाली केवल एक इकाई है जो उत्तर प्रदेश में है।
- आंध्र प्रदेश, असम, जम्मू और कश्मीर, झारखंड, मणिपुर, पंजाब, तमिलनाडु, तेलंगाना, उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश में कुल मिलाकर 312 गैर पंजीकृत प्लास्टिक कारखाने चल रहे हैं। जिन पर कोई रोक नहीं है।
- ऐसा माना जाता है की भारत में कचरा प्रबंधन की स्थिति को देखते हुए 2050 तक करीब 88 स्क्वायर किलोमीटर जमीन की जरूरत कूड़ा प्रबंधन के लिए पड़ेगी। जो कि पूर्वी दिल्ली से ज़्यादा है पूर्वी दिल्ली का अरी लगभग 64 km² है।
- कुछ एक्स्पर्ट का कहना है की अगर इसपर ध्यान नहि दिया जाए तो 1000 साल लग जाते हैं प्लास्टिक नष्ट होने में और कंट्रोल करने में जो की अपने – आप बहुत लम्बा समय है।
- प्लास्टिक यूज़ को देखा जाए तो हर साल दुनियाभर में 500 अरब प्लास्टिक बैग्स का इस्तेमाल होता है। जो अभी फ़ेस्बुक और वट्सऐप (Whatsapps) के यूज़र के बराबर है।
- शायद आपको जानकर हैरानी होगी कि प्लास्टिक 500 से 700 साल बाद नष्ट होना शुरू होता है और पूरी तरह से खतम होने में उसे 1000 साल लग जाते हैं। जो हम इंसानो के कई पिंडियाँ गूरज जाएँगी अभी से तब तक हमारे आने वाले जेनरेशन एक दूसरे को जानेंगे भी नहि।
- दुनियाभर में केवल 1% से 3% प्लास्टिक ही रीसाइकल हो पाता है। वैज्ञानिकों के कहना है की अगर प्लास्टिक का विकल्प न खोजा गया तो अगले 30 वर्षों यानी 2050 तक समुद्र में मछलियों से ज्यादा प्लास्टिक भर जाएगा। और सोच सकते है 1 मछलि लाखों अंडे देती है।
- इक्स्पॉर्ट का कहना है हर मिनट दुनिया में करीब 10 लाख प्लास्टिक बॉटल्स खरीदे जाते हैं। दुनियाभर में जो भी कूड़ा-कचरा पैदा होता है, उसका 10 से 20 फीसदी हिस्सा प्लास्टिक का ही होता है।
- एक रिपोर्ट के मुताबित प्लास्टिक के कारण हर साल करीब एक लाख समुद्री जीव-जंतु मर रहे हैं।
कंक्लूज़न (Conclusion)
फ्रेंड्स i hope कि अब आपको प्लास्टिक के बारे में दी गयी जानकारी अच्छी लगी होगी। मैं इस लेख को लिखते समय ऐसा अनुभव किया की हम अपने और अपने आने वाले पिंडी के लिए खुद ही दुसमन बन रहे है, तो मै सपथ लिया की अब से कैरी बैग, बोत्तल और एक बार इस्तेमाल होने वाले प्लास्टिक कभी इस्तेमाल नहि करेंगे। और आप लोगों से भी यही अनुरोध करूँगा की आप भी यही सपथ ले और अप टिप्पणी/comment करके अपना सुझाव दे है। धन्यवाद: