पति पत्नी का रिश्ता कैसा होना चाहिए | पति-पत्नी में कलह निवारण हेतु | पति-पत्नी को कैसे रहना चाहिए | Relationship Between Husband and Wife in hindi

डियर फ़्रेंड, वैसे तो पति-पत्नी का रिस्ता बहुत ही पवित्र होता है। काहा जाता है जोड़ी भागवान बनाकर भेजते है और कुछ मान्यता भी है, वेद पुराण में भी यही कहा गया कि पुरुष नारी के बिना अधूरा है, इसलिए शायद पत्नी को अर्धांगनी का दर्जा दिया गया है। अर्धांगनी का अर्थ आधा अंग होता है, और ये वर्तमान में भी सही ही माना जाता है।

क्योंकि अभी तक जितने भी पति-पत्नी, आस पास के लोग, अपने दादा-दादी, मम्मी – पापा, रेलटिव्ज़, इंटर्नेट, यूटूब, सोशल मीडिया, रामायण, महाभारत, पुराण, और भी जगह से जानकारी लिया है, ओ सभी के भाव से यही पाता चलता है कि अभी भी पति-पत्नी के रिश्ता सबसे अलग, सबसे अनोखा और सबसे मज़बूत होती है।

पहले के जमाने में (सतयुग, रामायण, महाभारत) पति पत्नी कि रिस्ता कैसा था? फ़्रेंड्स, वैसे हमने बहुत सारी कहानिया सुना है पति पत्नी कि रिस्ता कैसा होता है जैसे सती अनुशुइया एत्यादि।

माता कौशिक्का & माता अनुशुया की कहानी

माता कौशिक्का के पति को किसी ऋषि (मंडव ऋषि) ने श्राप दिया कि सूर्य उदय होते ही तुम्हारे पति का मृतु हो जाएगी, फिर माता कौशिक्का सूर्य देव को न उदय होने का श्राप देकर उनको उदय होने से रोक लिया था उसके बाद ऋठि का संतुलन बिगने लगा तो माता अनुशुया ने आकार उनसे अपने श्राप लेनो को बोला और उनके पति को रक्षा करने का आशीर्वाद दिया। तो फिर माता कौशिक्का अपने श्राप वापिस ले ली।

श्राप वापस होते ही यम के दूत, माता कौशिक्का के पति के प्राण लेने आ गये, लेकिन माता अनुशुया ने कौशिक्का के पति के चारो ओर सुरक्षा चक्र बना दिया जो यमदूत को तोड़ना असम्भव था और उनको ख़ाली जाना पड़ा, उसके बाद स्वेम यमराज आए और माता अनुशुया से सुरक्षा चक्र हटाने के अनुरोध किए फिर माता ने उनको समझाया और माता अनुशुया ने यमराज और माता कौशिक्का के पति को अपने पति – धर्म के योग के बल से श्राप मुक्त किया।

दोस्तों, माता अनुशुया के एक और कहानी है, जिसमें त्री – देव (ब्रम्महा, विष्णु, महेश) ने उनके सतित्वव का परीक्षा लेने आए थे ऋषि के भेष में तो उन्होंने माता अनुशुया से किसी भी पर्दा न रखने और उन तिनो देवों के खाना खिलने का माँग किए फिर माता समझ गयी की ये त्रिदेव है।

फिर माता अनुशुया ने त्री – देव नवजात शिशु बना दी और उनका देख रेख करनी लगी माता के रूप में, कुछ दिने बीतने के बाद मताए(लक्ष्मी,सरस्वती और पार्वती) चिंतित होने लगी तो उन्होंने माता अनुशुया के कुटिया में आए तो उन्होंने देखा की वाहा वहा 3 शिशु और उन्मे मताए अपने पति को देख रही तो फिर माता अनुशुया से अनुरोध करके उनको फिर से त्री – देव (ब्रम्महा, विष्णु, महेश) उनके वास्तविक रूम में लाये।

उसके बाद त्री – देवो ने उनको माता समझकर प्रणाम किया, ये सभी अपने पति धर्म के पालन करके इतने कारनामे किए।

जैसे की हम जानते है की पहले के जमाने में स्त्री अपने पति को परमेश्वर मानती थी इसलिए शायद पति परमेश्वर कहा जाता है।और पतिव्रत नारी के सामने खुद परमेश्वर भी नसमस्तक हो जाते थे। ऐसे बहुत सारे उधाहरण है।

जैसे जैसे कोई भी जीव जंतु या किसी चीज़ का प्रैक्टिस और भी कुछ को बार बार किया जाता है तो उसमें कुछ न कुछ म्यूटेशन यानी बदलाव होता है जैसे अभी करोना बार बार म्यूटेट हो रहा है।

उसी तरह समय के साथ ये पतिवर्त धर्म भी म्यूटेट हुआ और बदलाव आते गया महाभारत काल तक ये पति परमेश्वर वाले ही थी आप महाभारत में गांधारी को देख सकते है जब उनके पति महाराज धृतरास्ठ अंधे थे तो ओ भी अपनी आँखो पर पटा बांध ली थी।

वैसे हज़ारों कहानिया है जिसमें अपने पति को परमेस्वर के रूप में पत्नि  देखी है।

लेकिन आज हम इस लेख में आज के जमाने के हिसाब से बात करने वाले है।

पति – पत्नी का रिस्ता कैसा होना चाहिए?

अगर इसको कम से कम सब्द में परिभाषि किया जाए तो मुझे अभी तक 2 सब्द मिले जो होनी चाहिए।

1. विश्वाश यानी ट्रस्ट एक दूसरे के प्रति।

2. रेस्पेक्ट यानी इज्जत और केयर एक दूसरे के प्रति।

विश्वाश और इज्जत ये दोनो ऐसे सब्द है अगर इसको अच्छे से परिभाषित किया जाए तो, एक ग्रंथ लिखा जा सकता है। सादी एक पवित्र बंधन है जिसमें लड़का – लड़की एक दूसरे के हो जाते है और साथ में हर सुख – दुःख में साथ रहने का वादा करते है।

पति को अपने पत्नी के प्रति क्या कर्तव्य होना चाहिए?

सादी एक पवित्र बंधन है, सादी करते समय जितने भी वचन दिए जाते है ओ बहुत ही महत्वतपूर्ण होता, ज़्यादातर लोगों ये बचनो पर ध्यान नहि लेकिन देखा जाए तो सादी के रसम में ये सबसे महत्वतपूर्ण रसम होता है।

दोस्तों, सादी के समय जो 7 वचन होते है ओ बहुत ही महत्वपूर्ण होते है लेकिन आज का जमाने में इसे फ़ॉलो नहि किया जाता इसलिए रिसते टूटने का रेट दिन प्रति दिन बड रहा है।

दोस्तों मैं संस्कृत का इग्ज़ैक्ट मीनिंग नहि बता रहा हूँ, लेकिन सरांस और मैटर वही है। और ये अपने से बड़े, अनुभवी, इंटर्नेट, और सादी कराने वाले पंडित जी से मिली जानकारी के अनुसार ये सभी को लिख रहा हूँ।

जिसमें पंडित जी बताते है की पति को पत्नी के लिए क्या फ़र्ज़ होता.

1. वचन में लड़की अपने पति से बोलती है की कोई भी धर्म/शुभ कार्य जैसे तीर्थ यात्रा, व्रत या कोई भी काम उसमें मेरा साथ और होना आवश्यक है।

2. लड़की अपने अपने माता पिता के समान करने के लिए वचन लेती है कहती है की जिस तरह आप अपने माता पिता के समान अपने माता पिता के समान करेंगे उसी तरह आपको मेरे माता पिता के समान करना पड़ेगा।

3. लड़की अपने अपने पति से कहती है आप मेरा (युवा, ब्रिधा) में पालन करेंगे तो मैं आपके होने कि लिए तैयार हूँ।

4. विवाह होने से पहले आप भले ही परिवार की जिम्मेदारियों से मुक्त होंगे लेकिन अगर वैवाहिक जीवन का जिम्मेदारियों को उठाने के लिए तैयार है तो मैं आपके होने कि लिए तैयार हूँ।

5. इस वचन में लड़की कहती है की अगर आप अपने घर के किसी भी कार्य में होने वाले खर्च का विवरण हमसे कर लेंगे तो मैं आपके होने कि लिए तैयार हूँ।

6. इसमें लड़की अपने होने वाली पति से बोलती है अगर मैं अपने सहेलियों के साथ बैठी हुए हूँ तो आपको उन सभी के सामने अपमान नहि करेंगे। और इसके साथ ही जितने भी बुरे कर्म होंगे उसको छोड़ने के तैयार है तो मैं आपकी पत्नी बनना स्वीकार करूँगी।

7. आख़िरी में लड़की बोलती है की आप पति-पत्नी के रिस्ते में किसी और की भागीदारी नहि बनाएँगे और बाक़ी सभी स्त्री को अपने माँ के समान मानेंगे तो मैं आपकी पत्नी बनना स्वीकार करूँगी।

लेकिन पति को भी पत्नी से वादा यानी वचन चाहिए होता है। वर और कन्या के वचनो में कोई ज़्यादा अंतर नहि होता, चाहिए देखते है क्या होता है।

1. कन्या करती है की मैं आपके सभी शुभ कार्यों में आपके साथ रहूँगी

2. आपके परिवार में जो भी होंगे बुजुर्ग, बच्चे और आपके मॉ – पिता, उन सब का देखभाल करूँगी और आपके घर से जो भी मिलेगा और जितना भी मिलेगा उतना में ही संतुस्ट रहूँगी।

3. आपके हर आज्ञा मानूँगी और आपके मन पसंद व्यंजन/खाना बनाकर आपके लिए लाऊँगी।

4. मैं आपके लिए स्नान करके सभी श्रृंगारों के साथ मन,वचन एवं कर्म शरीर के क्रिया द्वारा कीड़ा में आपके साथ दूँगी

5. मैं आपके दुःख-सुख में बराबर की साझेदारी करूँगी और कभी भी पर पुरुष के ओर मन गमन नहि करूँगी।

6. आपके विशवाश को कभी नहि तोड़ूँगी, आप जाहा रहेंगे वही रहूँगी और आपके माता-पिता, संबंधियो, अतिथियों की सत्कार करूँगी।

7. घर्म, अर्थ और काम में मैं आपकी हर इच्छा का पालन करूँगी, मैं सभी (अग्नि,पंडित,माता-पिता और सभी संबंधियो) को शाक्षि मानते हुआ आपको अपना स्वामी मानती हूँ और अपना तन-मन सभी कुछ आपको समर्पित करती हूँ।

आज के ज़माना में देखे तो ये सब वचन को पालन करना तो दूर की बात 95% लोगों को पता भी नहि होता, ओ केवल सादी करते है लेकिन उसके जीमेदारियो पर खरे नहि उतरते। वैसे देखा जाए तो कोई भी चीज़ असम्भव नहि होता थोड़ा मुसकिल होता है लेकिन किया जा सकता है।, मेरे अनुभव और रिसर्च के अनुशार अगर 80% भी अपने वचनो को कोई दम्पति – पालन करता है तो उनका सादी सफल हो जाता है।

चलिए कुछ कारण देखते है क्यों सादी जल्दी तलाक़ तक पहुँच जाता है और इसको बचने के लिए क्या किया जा सकता है।, किसी एक को 100% ग़लत नहि कह सकते है दोनो पक्षों में कुछ न कुछ कमियाँ होती है और वही कुछ केस में 100% गलती किसी एक को मान भी सकते है लेकिन उसका अनुपात बहुत ही कम होता है।

वैसे तो बहुत सारे कारण है जिसके वजह से सादी टूट जाती है लेकिन कुछ मुख्य कारण को याहा लिस्ट करेंगे।

लड़की के पक्ष से बात करे तो नीचे दिए गये बिंदुओ पर ध्यान दे सकते है।

1. लड़की अपने EGO दिखती है और उसमें उसके माता-पिता, मायके वाले सपोर्ट करते है। जबकि उनको अपने बेटी को समझना चाहिए और उनके ग़लतियों पर नज़र-अन्दाज़ न करके उसको सुधारने को बोलना चाहिए।

अगर देखा जाए तो उनके मायके वाले ऐसा करके लड़की का घर तोड़ते है क्योंकि चाहे दुनिया कितना ही मॉडर्न क्यों न हो जाए लड़की हो अपने ससुराल ही सोभा देता है। और लड़की को भी सोचना चाहिए कि जिसके साथ ज़िंदगी भर साथ निवाने का वादा किए है उनके साथ किसी भी तरह का ग़लत व्याहार नहि करना चाहिए। 

क्योंकि अभी तो आपके माता-पिता, भाई भले ही साथ दे-दे लेकिन ज़िंदगी तो दूर की बात है अगले 10-15 सालो में आपको देखने को मिल जाएगा, की सादी के बाद आपके ससुराल वाले ही अपने होते है।

अगर आप इस (10-15 सालो) के बीच आप अपने सादी को बचना और अच्छा बनाना चाहती है तो ससुराल के सभी परिवार को अपने माता-पिता, भाई – बहन, पति के रूप में देखे और इज्जरत करे जैसे आप मायेके में करा करती थी। इससे बहुत सारे बेनेफ़िट्स/ फ़ायदे होंगे। एक तो दोनो परिवारों के बीच रिस्ता भी घनिस्ट आपके विवाहिक जीवन भी सफल रहेगा और ये सब का क्रेडिट्स आपको मिलेगा।

2. दूसरा मेन कारन है लड़की का बिना मन/मर्ज़ी के सादी करा दिया जाता है और ओ उस लड़के (अपने पति) को ही अपना दुसमन समझ कर उसे परेशान करना स्टार्ट कर देती है। ऐसे में लकड़ी कि माता-पिता को चाहिए की लड़की का मर्ज़ी ज़रूर जान ले नहि तो लड़की के साथ – साथ लड़का के परिवार वालों को भी लाइफ़ ख़राब हो जाता है।

3. एक्स्ट्रा अफ़्फ़ेयर यानी पति के अलावा किसी और से प्यार – ये एक प्रमुख कारण है यू तो एक्स्ट्रा अफ़्फ़ेयर दोनो पति-पत्नी दोनो के हो सकते है, जिसके वजह से सादी अक्सर टूट जाते है सादी जैसे – पवित्र रिस्ते को ये सब फ़ालतू और नसवर सुख के लिए वरवाद न होने दे। ये ज़्यादातार यू होता है जैसे कि पार्ट्नर एक दूसरे को समझने नहि पाते या अपने सेक्शूअल रिलेशन को ओपेन्ली बात नहि कर पाते जिसके वजह से उनके इक्षाओ को संतुष्टि नहि मिलती, ऐसे में पति-पत्नी दोनो को चाहिए की एक दूसरे को फ़ीलिंग को समझे और उसे पूरा करने का भरपूर कोसिस करे।

4. लड़का पक्ष को ग़रीब समझना और अपना रुतवा ज़माना, ये भी एक कारण है, ये सभी चीज़ें सादी होने से पहले अच्छे से जाँच पड़ताल कर लेनी चाहिए, लेकिन नहि किए और सादी हो ही गयी तो उसे स्वकार कीजिए।

5. कभी ऐसा भी होता है लड़की आमिर घराने से तालुक रखती हो और ससुराल वाले उसके अनुसार नहि है तो लड़की उनके फ़ैमिली में बिलकुल भी फ़िट नहि होने पाती और ससुराल वाले को भी लड़की का व्यवहार पसंद नहि आती, इस केस में दोनो पक्षों को बराबरी का होना भी ज़रूरी है, ताकि मैचिंग हो सके। नहि तो पता चला कि लड़की डिस्को में जाना पसंद करती हो और लड़का वालों नाम भी न सुने हो। इस केस में लव मैरेग होते है, तो लड़की को लड़का का फ़ैमिली के अनुशार अपने आप को डाल लेना चाहिए।

6. कभी ऐसा भी होता है की लड़की ड्रिंक करती हो या कोई और नशा करती हो और ससुराल वाले नहि करते है इस केस में भी सादी टूटने का सम्भावना तय होता है। इसलिए अपने लेवल वाले फ़ैमिली में ही सादी करे।

7. कही कही ऐसा भी देखा जाता है की लड़की काफ़ी गुसैल और हर छोटे – छोटे बातों पर लड़ने लगती है, पता चलता है कि लड़की के घर में यानी मायके में भी इसी तरह के ऐक्शन होता है कभी भाई, कभी पापा तो कभी कोई ऐसे हरकत करते है इसलिए ऐसा गुण लड़की में भी आ जाता है।

 8. अंतिम लेकिन बहुत ही महत्वपूर्ण, मैं 1000 ऐसे सादिया सुना और देखा हुआ भी हूँ, जिसमें लड़की पैसे कि लिए सादी करती है जैसे: सादी करी और कोई न कोई लड़के में कमियाँ निकालकर जैसे- नपुंसकता, सराबी, धोखाधड़ी ये सब और तलाक़ ले लेती है जिससे लड़के पक्ष, लड़की पक्ष को पैसे देने के लिए मजबूर हो जाते है।

इसलिए सादी जैसा पवित्र-रिस्ते को बिना जाँचें कभी ना करे।

दोस्तों लड़के भी सादी जैसे पवित्र वंधन को तोड़ने में भी कोई कसर नहि चोड्ते चलिए कुछ करण देखते है।

1. कुछ तो ऐसा होते है की डेली सराब पीकर आते है और अपने पत्नी के साथ मार – पिट करते है, ऐसे में भी सादी टूटने का चनांसेस बाद जाते है।

2. दूसरे लड़की के प्रति ज़्यादा अग्ग्रेशिव होते है और अपने पत्नी को छोड़कर उनके साथ फ़िज़िकल रिलेशन बनाते है ऐसे में कही लड़की (पत्नी ) को पता चल गया तो ज़रूर ही सादी टूट जाएगी।

दोस्तों और भी बहुत सारे कारण होते है सादी टूटने का लेकिन ज़्यादातर केस में लड़की के तरफ़ से गलती देखी जाती है।

सभी का अगर निचोड़ निकाला जाए तो अग्ग्रेशिव / ग़ुस्सा / घमंड / अभिमान / EGO यही सभी मेन कारण है, इसको कंट्रोल कीजिए और अपने सादी सुधा लाइफ़ को अच्छे से करीए। क्योंकि हमारे भारत में पति-पत्नी का रिश्ता उन्मोल है याहा तक की सबसे अच्छा, सबसे पवित्र और गहरा होता है।

हमारे भारत में पति को परमेश्वर माना जाता है, तो पति को भी चाहिए की अपने परमेश्वर होने का दवित्वा को सही से निभाए और पत्नी को हर तरह से खुश रखने का कोसिस कर। और पत्नी का भी फ़र्ज़ है की अपनी पति का इज्जत करे चाहे ओ मुखेश अम्बानी के घराने से ही क्यों ये ऊँच – नीच, गरीब – आमिर, ये सब सादी से पहले देखने वाले चीज़ें है। एक बार सादी हो गया तो उसको निभाना ही दोनो पक्षों का फ़र्ज़ है।

लेकिन कुछ केस में ऐसा होता है की कोई लड़की के साथ कोई भी लड़का चाहे कितना ही सीधा, शूशिल और सांत क्यों न हो नहि रह सकता क्योंकि लड़की इतनी गठिया होती है।

कुछ केस में लड़का इतना गठिया होता है की कोई भी लड़की नहि रह सकती चाहे कितना ही सीधा, शूशिल और सांत लड़की क्यों न हो।

लेकिन ये सभी का % बहुत कम होता है उस केस में अलग हो जाना ही उचित है, फिर भी मैं एक ही बात कहूँगा, सादी से पहले ज़रूर से ज़रूर जाँच-पड़ताल कर ले, ताकि ये नवबत न आए।

पति – पत्नी कैसा रहना चाहीए?

अगर देखा जाए तो पति – पत्नी को एक दूसरे को रिस्पेक्ट यानी इज्जत करना चाहिए और दोनो सुख-दुःख में एक दूसरे को साथ से और भाग ले। एक दूसरे पर विश्वाश करे। कभी पति ग़ुस्सा करे तो पत्नी को सांत रहना चाहिए और कभी पत्नी ग़ुस्सा करे तो पति सांत रहना चाहिए और प्यार से ग़ुस्सा के करना जानने की इक्षा करे और उसे कोसिस करे की दुबारा ना हो और एक दूसरे को सौरी (sorry) बोले, सौरी एक छोटा सा सब्द है जो आपके रिस्ते को मज़बूत बनाने में सहयोग करेगा।

हम सभी इंसान है तो ज़ाहिर सी बात है की हमें कभी न कभी ग़ुस्सा आएगा लेकिन उसको माइंड न करेके इग्नोर करना है और कोसिस करना है कि ग़ुस्सा के समय कोई एक को जिसपर ग़ुस्सा किया जा रहा हो ओ वहा से थोड़ी दूर चला जाए या फिर कूल/काम रहे। अगर पति – पत्नी रिस्ते को व्याख्या किया जाए तो एक ग्रंथ बन जाएगा, इसलिए अब इस लेख को यही विराम देते है, फिर भी आपका कोई सुझाव है तो आप निछे कॉमेंट के इस्तेमाल करके हमें दे सकते है।

Leave a Comment