दोस्तों, जैसे कि हम जानते है कि किसानी की हालत कोई बहुत अच्छी नहीं है। इसके अलावा जमीनों से जुड़े कागजात को लेकर भी कोई अधिक जागरुकता नहीं। ऐसे में जमीन या प्लाट खरीदते समय धोखाधड़ी भी बहुत होती है। शहरी और ग्रामीण दोनों ही क्षेत्रों में इसी प्रकार बुरा हाल है। लोगों के पास जमीन तो है, लेकिन उसकी जानकारी और भू स्वामित्व प्रमाण पत्र यानी LPC नहीं। जबकि जमीन को बेचने या उस पर लोन लेने की बात आती है तो एलपीसी (LPC) की आवश्यकता होती है। आज इस पोस्ट के माध्यम से हम आपको बताएंगे कि LPC क्या होता है? इसकी आवश्यकता क्यों पड़ती है? बिहार/झारखंड में इसे बनवाने की आनलाइन और आफ लाइन प्रक्रिया क्या है? आदि। आइए, शुरू करते हैं-
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एलपीसी (LPC) क्या है? भूमि स्वामित्व प्रमाणपत्र क्या है ?
दोस्तों, आइए सबसे पहले आपको बता दें कि LPC क्या है? LPC की फुल फॉर्म land possession certificate है। इसे हिंदी में भू -स्वामित्व प्रमाण-पत्र भी कहा जाता है। जैसा कि नाम से स्पष्ट है, LPC एक ऐसा दस्तावेज है, जो यह दर्शात्ता है कि आपके नाम पर कितनी जमीन है, या आपका कितना हिस्सा सरकार के पास रजिस्टर्ड। दूसरे शब्दों में कहें तो यह राज्य सरकार की ओर से जमीन के मालिक को जारी एक दस्तावेज है। यही भूमि के स्वामित्व का सबूत है।
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LPC के लाभ या आवश्यकता –
दोस्तों, आइए अब आपको बताते हैं कि LPC की आवश्यकता क्यों पड़ती है। दरअसल, ऐसे अनेक मामले हैं, जहां इसके बगैर काम नहीं चलता। जैसे-
- जमीन पर बैंक से लोन प्राप्त करने के लिए।
- भू-अर्जन के मामलों में जमीन पर अपना दावा प्रस्तुत करने में।
- न्यायिक मामलों में भूमि धारण का प्रमाण स्वरूप प्रस्तुत करने में।
- अचल संपत्ति दर्शाने में। किसान क्रेडिट कार्ड (KCC) प्राप्त करने में आदि में।
एलपीसी बनवाने के लिए आवश्यक शर्तें –
एलपीसी बनवाने की कुछ आवश्यक शर्तें हैं। कुछ दस्तावेज आपको संलग्न करने होते हैं। एक नजर में देखें तो इसके लिए जरूरी है-
डिजिटल रजिस्टर 2 में नाम का होना। यह दाखिल खारिज यानी म्यूटेशन (mutation) के बाद होगा, या फिर आपके ख़तियानी होगा तो भी रजिस्टर 2 में नाम होगा।
- वर्तमान साल की जमीन का टैक्स जमा होना।
- आवेदक का मोबाइल नंबर।
- स्व-घोषणा पत्र (Affidavit)।
- आवेदक का आधार कार्ड।
- आवेदक का निवास प्रमाण पत्र और फोटोग्राफ।
दोस्तों, आपको बता दें कि LPC बनवाने के लिए आवेदन फार्म में मांगे गए सभी दस्तावेज आपको अपलोड/संलाँगन करने होंगे। यार फिर अपने ब्लॉक पर जाकर कर्मचारी से मिले ऐसा न होने पर प्रक्रिया आगे नहीं बढ़ सकेगी और आपका LPC नहीं बन सकेगा।
जैसा कि हमलोग जानते है कि जमीन की रजिस्ट्री आपके नाम होने के बाद सरकारी रिकॉर्ड्स में प्रॉपर्टी का म्यूटेशन कराना बहुत जरूरी है। म्युटेशन यानी दाखिल ख़ारिज राजस्व रिकॉर्ड में एक व्यक्ति से किसी संपत्ति का ट्रांसफर या नामांतरण दूसरे व्यक्ति के नाम पे करने की प्रक्रिया को कहा जाता है। प्रॉपर्टी के म्यूटेशन (mutation) के बाद ही कोई भी व्यक्ति कानूनी रूप से अपनी जमीन का मालिक बन पाता है।
म्यूटेशन के बाद ही रजिस्टर 2 में नाम आएगा –
ये भी बहुत महतवपूर्ण जानकारी है की आपकी जमीन का दाखिल ख़ारिज हो जाने के बाद रजिस्टर 2 में नाम आ जायेगा। यदि आप ऑनलाइन भू-स्वामी प्रमाणपत्र बनवाना चाहते हैं तो इसके लिये आप ऑनलाइन ही लगान (Tax) जमा करें। यह डिजिटल जमाबंदी रजिस्टर में दिखने लगेगा। यदि आपने ऑफलाइन यह कार्य करते हैं तो सीओ ऑफिस के ऑपरेटर को टैक्स डिजिटल जमाबंदी रजिस्टर पर अपडेट करने के लिए request करनी होगी। दाखिल ख़ारिज के लिए आवेदन करने के बाद उसी जगह से आप LPC के लिए भी आवेदन कर सकतें है।
म्यूटेशन की प्रक्रिया –
मित्रों, यदि आप कोई जमीन या प्लाट लेने जा रहें है तो सबसे पहले जमीन का ब्योरा हासिल करें। आजकल संबंधित जमीन का रिकॉर्ड ऑनलाइन उपलब्ध हो जाता है। आपको बस संबंधित वेबसाइट पर जाकर पूछी गई जानकारी भरनी होगी। अब हम आपको म्यूटेशन की आनलाइन प्रक्रिया की जानकारी देते हैं। यह इस प्रकार है-
एलपीसी प्रमाणपत्र एक सरकारी दस्तावेज़ होता है जिसे भू -स्वामित्व प्रमाण-पत्र के नाम से भी जाना जाता हैं। इस दस्तावेज़ में किसी व्यक्ति के जमीन के मालिकाना हक का विवरण दिया होता हैं।