दिल्ली, इंडिया गेट भारत का एक अभिन्न अंग है जो शहीदों को समर्पित, याद करते है इंडिया गेट उन योधाओ के याद में बना है, जिन्होंने देश के लिए अपने परिवार,माँ – बाप, बचे, पत्नी याहा तक की जीवन को समर्पित कर दिया था।
इंडिया गेट नई दिल्ली में राजपथ मार्ग पर स्थित है, जो भारत की विरासत के रूप में जाना जाता है। इंडिया गेट एड्विन लैंडसियर लूट्यन्स द्वारा डिजाइन किया गया था और इसका निर्माण आज़ादी से पहले यानी 1931 में पूरा हुआ था। ऐसा माना जाता है की शुरूआत में इस स्मारक का नाम ‘ऑल इंडिया वॉर मेमोरियल’ रखा गया था। फिर बाद में इसको रीनेम करके इंडिया गेट रखा गया, यह स्मारक पेरिस के आर्क डी ट्रौम्फ से अवतरित है।
इंडिया गेट का निर्माण लाल बलुआ पत्थर और ग्रेनाइट से किया गया है। इंडिया गेट की ऊँचाई 42 मीटर है। प्रत्येक वर्ष गणतंत्र दिवस (26 जनवरी) के दिन भारत के राष्ट्रपति और अन्य कई मुख्य राजनीतिक नेताओं और अन्य गणमान्य व्यक्तियों को इंडिया गेट के नीचे स्थित अमर जवान ज्योति पर उन शहीदों के समर्पण को याद करते हुए देखा जा सकता है।
इतिहास से ऐसा पता चलता है की प्रथम विश्व युद्ध और तीसरे एंग्लो-अफगान युद्ध में ब्रिटिस इण्डियन आर्मी यानी आज़ादी से पहले के भारतीय आर्मी के लगभग 90,000 सैनिकों ने शक्तिशाली ब्रिटिश साम्राज्य को बचाने में अपनी जान गँवा दी थी। इन्ही सैनिकों के सम्मान के लिए इंडिया गेट का निर्माण किया गया था। इंडिया गेट की दीवारों पर इन सैनिकों के लिखे हुए नामों को भी देखा जा सकता है। आजादी से पहले इंडिया गेट के सामने सिर्फ किंग जॉर्ज वी की ही प्रतिमा स्थापित थी, जिसे आजादी के बाद हटा दिया गया था।
जैसे की हमलोग जानते है की इंडिया गेट आज़ादी से पहले बनाया गया है इसलिए आजादी के बाद इंडिया गेट में कुछ संशोधन भी किए गए हैं। इन संशोधनों के कारण इंडिया गेट भारतीय सेना के सैनिकों के लिए एक महत्वपूर्ण स्थल बन गया है, जिन्होंने स्वतंत्रता संग्राम के समय अपने जीवन को गँवा दिया था। अमर जवान ज्योति (अमर योद्धाओं की लौ) 1971 में पाकिस्तान के साथ युद्ध में अपनी जान गँवाने वाले भारतीय सैनिकों के सम्मान के लिए बहुत बाद में बनवाई गई थी। अमर जवान ज्योति काले संगमरमर से बनी है और इसके ऊपर एक बंदूक और एक सैनिक की टोपी रखी हुई है।
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हालांकि ऐतिहासिक महत्व अभी भी स्मारक से जुड़ा हुआ है लेकिन इसके आसपास के लॉन, फव्वारे और राष्ट्रपति भवन के दृश्य के कारण इंडिया गेट कई दिल्ली वासियों के लिए एक पिकनिक स्थल बन गया है। इंडिया गेट पर भोजन और मौसम का आनंद ले रहे कई परिवारों को देखने के लिए शनिवार या रविवार की शाम इंडिया गेट पर जाएं। कई बच्चों को आप वहाँ आइसक्रीम, फ्रूट चाट, शीतल पेय वाले विक्रेताओं के आसपास आनंद लेते हुए देख सकते हैं।
पहले गुजरती थी इंडिया गेट के पास से रेलवे लाईन.
आज जहां पर इंडिया गेट है पहले वहां से रेलवे लाइन गुजरती थी। साल 1920 तक, पुरानी दिल्ली रेलवे स्टेशन पूरे शहर का एकमात्र रेलवे स्टेशन हुआ करता था। उस समय आगरा-दिल्ली रेलवे लाइन वर्तमान इंडिया गेट के निर्माण-स्थल से होकर गुजरती थी। बाद में इस रेलवे लाइन को यमुना नदी के पास स्थानान्तरित कर दिया गया। जब साल 1924 में यह मार्ग शुरू हुआ तब इस स्मारक स्थल का निर्माण कार्य शुरू हो सका और 1931 में पूरा हुआ।
इंडिया गेट के बारे में कुछ रोचक जानकारी.
- इंडिया गेट को एडविन लुटियन ने डिजाइन किया था जो तब दिल्ली के मुख्य वास्तुकार थे। उन्हें उस समय युद्ध स्मारक का एक प्रमुख डिजाइनर भी माना जाता था। साल 1931 में इसका निर्माण कार्य सम्पन्न हुआ।
- इंडिया गेट का निर्माण करने में मुख्य रूप से लाल और पीले पत्थरों का उपयोग किया गया है, जिन्हें खासतौर पर भरतपुर से लाया गया था।
- भारत का राष्ट्रीय स्मारक होने के नाते, इंडिया गेट भी विश्व के सबसे बड़े युद्ध स्मारकों में से एक है।
- इसकी ऊंचाई 42 मीटर यानी 137.79 फुट है।
- इस स्मारक की संरचना पेरिस के आर्क डे ट्रॉयम्फ़ से प्रेरित है।
- इंडिया गेट एक षट्कोणीय जगह के बीचों बीच स्थित है, जिसका व्यास 625 मीटर है और क्षेत्रफल 360,000 वर्ग मीटर और चौड़ाई 9.1 मीटर है।
- इसके कोने के मेहराबों पर ब्रितानिया-सूर्य अंकित है। जबकि महराब के दोनों ओर इंडिया छपा हुआ है।
- जब इंडिया गेट बनकर तैयार हुआ था, तब इसके सामने जार्ज पंचम की एक मूर्ति लगी हुई थी, जिसे बाद में अंग्रेजी राज की अन्य मूर्तियों के साथ कोरोनेशन पार्क में स्थापित कर दिया गया।
- इस स्मारक में साल 1919 में हुए अफगान युद्ध के दौरान पश्चिमोत्तर सीमांत में शहीद हुए 13,516 से अधिक ब्रिटिश और भारतीय सैनिकों के नाम छपे हुए है।
- इस स्मारक को 10 साल बाद तत्कालीन वायसराय लार्ड इर्विन ने राष्ट्र को समर्पित किया था।
- इंडिया गेट के छतरी के नीचे साल 1971 में हुए भारत-पाकिस्तान युद्ध में वीरगति को प्राप्त होने वाले शहीद भारतीय सैनिकों के सम्मान में अमर जवान ज्योति की स्थापना की गई थी। यह अमर ज्योति दिन-रात जलती रहती है।
- अमर जवान ज्योति का उद्घाटन भारतवर्ष की प्रथम महिला प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने 1972 में 26 जनवरी के दिन किया था।
- अमर जवान ज्योति का निर्माण काले संगमरमर से किया गया है, इसके ऊपर एक बंदूक और एक सैनिक की टोपी रखी हुई है।
- भारत के प्रधानमंत्री और भारतीय सशस्त्र बलों के प्रमुख 26 जनवरी, विजय दिवस और इन्फैन्ट्री डे पर अमर जवान ज्योति में श्रद्धांजलि देते हैं।
- इंडिया गेट के पूरे आसपास में बगीचे और खूबसूरत हरे-भरे पौधों का निर्माण किया हुआ है। जिस वजह से यह एक पिकनिक स्पॉट के रूप में भी जाना जाता है।
- इंडिया गेट का निर्माण कार्य 10 फरवरी 1921 को स्टार्ट किया गया था।
- इंडिया गेट का उद्घाटन 12 फरवरी 1931 को किया गया था।
- उद्घाटनकर्ता वायसराय लॉर्ड इरविन द्वारा किया गया था।
- डिज़ाइन एडविन लुटियंस के द्वारा किया गया था।
- इंडिया गेट दिल्ली राज्य में है।