गैरमजरूआ जमीन मिली जानकारी के मुताबिक वैसी जमीन जो विगत सर्वे में किसी भी रैयत को तत्कालीन जमींदार द्वारा बंदोबस्त नहीं की जा सकी उसे ही गैरमजरूआ जमीन कहा जाता है। गैरमजरूआ जमीन दो तरह की होती है। गैरमजरूआ आम और खास। गैरमजरूआ आम पूर्ण रूप से सरकारी रास्ता, पहाड़ या सैरात होती है। इसकी खरीद-बिक्री नहीं हो सकती। यह जमीन सरकार की होती हैं. जबकि गैरमजरूआ खास के तहत गैरमजरूआ मालिक प्रकृति की जमीन भी आती है। इसकी खरीद-बिक्री हो सकती है, लेकिन सिर्फ उसी जमीन की, जो सरकार की प्रतिबंधित सूची में दर्ज नहीं है और संबधित जमीन की जमाबंदी कायम है।
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कई शर्तों को पूरा करना है भूधारकों को
गैरमजरूआ खास ऐसे भूधारकों की भूमि वैध प्रमाणित करने के लिए कई शर्तें लगाई गई है। ऐसा अवैध जमाबंदी की पहचान के उद्देश्य से किया गया है। संयुक्त सचिव के आदेश के तहत भू धारकों को कई शर्तों का अनुपालन करते हुए सीओ, एलआरडीसी एंव एसी के समक्ष साक्ष्य भी प्रस्तुत करना है। ताकि वैध भूमि का लगान रसीद निर्गत किया जा सके।
ये है शर्तें
1. वैसे गैरमजरूआ खास भूमि जिसका हस्तांतरण 1.1.46 के पूर्व पंजीकृत डीड, इंस्ट्रूमेंट से गैरमजरूआ मालिक भूमि का अंतरण, भूतपूर्व जमींदार द्वारा बंदोबस्ती से प्राप्त किया गया है, वैसे मामलों पर कार्रवाई की जाएगी।
2. बंदोबस्ती की तिथि से 1956 के पूर्व तक भूतपूर्व जमींदारी रसीद निर्गत होती रही हो एंव 1956 से लगातार उक्त जमाबंदियों में रसीद निर्गत नहीं करने की अवधी तक सरकारी लगान रसीद निर्गत होती रही हो।
3. समीक्षा के दौरान यह दृष्टिगोचर हो की 1.1.46 के पूर्व जिस रैयत के साथ भूमि की बंदोबस्ती की थी, परंतु उसने 55-56 के पूर्व भूमि का हस्तांतरण निबंधित दस्तावेज से किसी रैयत को कर दिया हो, वैसे मामलों में भू-हस्तांतरण से संबंधित निबंधित दस्तावेज।
4. 1955-56 के पूर्व भूमि क्रेताओं के नाम भूतपूर्व जमींदार द्वारा निर्गत जमींदारी रसीदें तथा 1956 के बाद क्रेता को लगातार निर्गत सरकारी रसीदें व क्रमानुसार हस्तांतरित दखल-कब्जा का सत्यापन।
गैरमजरूआ खास जमीन का रसीद कटेगा ? Gairmajarua khas jamin ka rasid katega ?
नहि, क्योंकि ये खतियानी सरकार के खाता में ज़मीन होता है अवैध क़ब्ज़े में किसी के नाम है तो ओ उसका बंदोबस्ती करा कर फिर रसीद काटा सकते है।
किस कंडिशन में रैयती ज़मीन गैरमजरूआ खास हो सकते है
1. आप बहुत दिनो से ज़मीन का रसीद नहि काटा रहे है तो ये अपने आप सरकार के खाता में चला जाएगा लेकिन अवैध ढखल में आपका नाम रहेगा मतलब जो उस ज़मीन के मौजूदा मालिक होगा उसका रहेगा।
2. फ़िलहाल सर्वे में आपके पास उसका पुराना काग़ज़ात नहि होने पर ये सरकार के खाता में चला जाएगा लेकिन अवैध ढखल में आपका नाम रहेगा, मान लिजीय आपका उस ज़मीन का काग़ज़ात कही खो गया होगा या फिर उस समय आपके पास नहि था उस कंडिशन में गैरमजरूआ खास हो सकता है.
गैरमजरूआ खास जमीन की बिक्री हो सकती है या नहि।
हाँ, लेकिन केवाला नहि होगा, स्टाम्प पेपर पर फ़ॉर्मैलिटी पूरा कर सकते है।
गैरमजरूआ खास को कैसे रैयती करा सकते हैं
गैरमजरूआ खास को 3 प्रकार से रैयती करा सकते है मतलब अपने खाता या फिर अपने नाम पर करा सकते है।
1. अगर आपके पास इसका पुराना काग़ज़ात होगा तो आप अपने ब्लॉक के ज़मीन बिभग के कर्मचारी, सी आई अथवा सी ओ से मिल सकते है इसमें आपको एक ऐप्लिकेशन लिखना होगा की ये हमारे पुराने सर्वे के अनुसार रैयती ज़मीन था लेकिन फ़िलहाल के सर्वे में ये झारखंड / बिहार सरकार के खाता में चला गया है।.
2. आप इसका बंदो बस्ती करा सकते हैं.
3. आप कोर्ट में टाइटल सूट कर सकते है
इसमें सबसे बेस्ट आपके लिए 1 और 2 तरीक़ा सही रहेगा।
हमारे झारखंड और बिहार में हज़ारों एकड़ ज़मीन गैरमजरूआ खास है लेकिन ऐसा नहि कि कोई और इसको क़ब्ज़ा कर ले इसमें से कुछ तो सरकार के है जिसमें सरकारी काम होगा जैसे की स्कूल/पंचायत भवन ईट्यादि और कुछ सर्वे के ग़लतियों के बज़ह से ऐसा हुआ है जो अरिजिनल मालिक के ज़मीन को सरकार के खाता में ड़ाल दिया है लेकिन अभी बहुत सारे ऐसा केस आ रहा है कि ये झारखंड सरकार का है तो कोई भी क़ब्ज़ा कर सकता है। ऐसा कहकर कुछ दबंग लोग, कमजोर और सीधेसाधे लोगों को ज़मीन हड़प रहे है। ये टोटली अन्याय है।
झारखंड या बिहार सरकार के ज़मीन होने से कोई भी इसपर क़ब्ज़ा नहि कर सकता जिसका अवैद दख़ल है उसी का हक़ बनता है या फिर उसके पास कोई पुराना खतीयनी ज़मीन हो। ज़मीन ओनर (अवैद दख़ल है या फिर उसके पास पुराना खतीयन हो) का ज़िम्मेवारी है की ओ सरकार से कैसे ले या सरकार से अपने नाम कराए। अगर आप लोगों में कोई ऐसा है तो किसी का गैरमजरूआ खास ज़मीन को अपने क़ब्ज़ा में लिए है तो कृपया उस पर ऐसा अन्याय न करे अगर उसका औरिजिनल मालिक आपसे ज़मीन का माँग कर रहा है तो आप उसे बिना परेशान किए उसे लौटा दे नहि तो, फ़ाइनली में ज़मीन उसी का होगा लेकिन इसके लिए आपको भी थोड़ा परेशानी झेलना पड़ेगा और उसको भी, और अतिरिक्त खर्च भी दोनो का होगा.
क्योंकि आप किसी और का ज़मीन अपने क़ब्ज़े में धोखे से रखेंगे और आपके पास इसका पुराना कगजत नहि होगा तो कोर्ट आपके सजा भी देगी और साथ में उसमें जितना खेती से अपने कमाया होगा या अरिजिनल मालिक अपना नुक़सान दाखिल करेगा तो आपको ये सब चीजो कि भरपाई करनी पड़ेगी।