सच्ची दोस्ती किसे कहते है ? sachchi dosti kise kahte hai ? what is true friendship ?
सच्ची दोस्ती को परिभाषित नहि किया जा सकता है क्योंकि ये सब्दो में समाहित नहि हो सकता है।
डियर फ़्रेंड, वैसे तो दोस्ती को डिफ़ाइन करना मेरे टैलेंट में नहि है लेकिन आज मैं अपने दोस्त और दोस्ती के बारे में बताने जा रहा हूँ जो 101% सत्य है। इसमें बनावटी और कोई भी बात को मॉडिफ़ाई नहि कर रहा हूँ।
किसी भी समाज से सरोकार रखने वाले मनुष्य के लिए ‘रिश्ता’ शब्द बड़ी अहमियत रखता है। हम परिवार में विभिन्न रिश्तों की डोर से बँधे होते हैं। लेकिन इन पारिवारिक रिश्तों के अलावा एक और महत्वपूर्ण रिश्ता हमारे जीवन में काफी महत्व रखता है और वह है दोस्ती अथवामित्रता का रिश्ता, जो विश्वास व सहयोग के आधार पर टिका होता है। मित्र राजदार भी होते हैं और सुख-दुःख के साथी भी.
और कुछ ऐसे दोस्त मिल जाते है जो कुछ समय के लिए साथ निभाते है . और कुछ ऐसे भी हमे दोस्त मिलते है जो सारी जिंदगी हमारा साथ निभाते है चाहे सुख होया दुःख वो कभी हमारा साथ नहीं छोड़ते.
दोस्तों दोस्ती की गाथा पुराणों में भी बताई गयी है कैसे भगवान कृष्ण और सुदामा की दोस्ती बताते है की वो दोनों गुरु के आश्रम में साथ – साथ पड़ते थे.
हम अगर दोस्ती के उदाहरण देखे तो हमे दुनिया में इतने उदाहरण मिलते है , की हम गिन भी नहीं पाएंगे.
और मेरा तो आपसे बस यही कहना है की आप जिससे भी दोस्ती करे उसे कभी धोखा ना दे आप हमेशा सच्ची दोस्ती निभाए चाहे सामने वाला आपको धोखा दे पर आपको नहीं देना है. और जीवन में कोई भी दोस्त हो चाहे बचपन का या प्रोफेशनल जीवन का हमे सब से सच्ची दोस्ती निभानी है.
इस लेख का मुख्य उद्देश्य है की कुछ मेरे दोस्त मुझे ग़लत समझे है उनके ग़लत फ़हमी को जितना हो सके दूर करना चाहता हूँ। और ये बताना और दिखाना चाहता हूँ। की मेरे दिल में उनके लिए कितना रिस्पेक्ट (इज्जत) है।
हेलो फ़्रेंड, मेरा नाम प्रदीप है, मैं इस ब्लॉग पर सभी प्रकार कि जानकारी लाता हूँ जैसे कि तकनीक के बारे में जिसमें कम्प्यूटर और फ़ेमस वेबसाईट कि इन्फ़र्मेशन एवं फ़्रॉड से कैसे सेफ़ रहे, जेनरल नॉलेज जैसे की हमारे भारत में फ़ेमस स्थान, पेरेंट सजेस्सन जैसे की बेबी कि स्कूल में अड्मिशन कैसे कराए, निबंद, ऐप्लिकेशन कैसे लिखे एवं मोटिवेटिव क्वोट्स। मेरा एक दूसरा ब्लॉग भी है जाहाँ ओन्ली टेक्नॉलजी से रिलेटेड पोस्ट होता है अप http://www.learnwebtech.in/ उसे ऐक्सेस कर सकते है।
इस लेख में दोस्त एंड दोस्ती को कैटेगॉरी में बाट रहा हूँ। उससे समझें में आसान होगा
1. बचपन का दोस्त जिसको लौगौटिया दोस्त भी कहते है : ये दोस्ती बहुत ही स्ट्रोंग और मज़बूत होता है क्योंकि इसमें हम एक दूसरे को बहुत क़रीब से जानते है इसमें हम एक दूसरे को इतने बारीकी से जानते थे की कोई एक दोस्त बिना कुछ किए किसी से कोई जानकारी लिए बिना अपने अनुभव से जन जाता था कि मेरे दुसरा दोस्त कैसा होगा या क्या कर रहा है
2. स्कूल का दोस्त: स्कूल दोस्तों की अभी अपनी अलग मज़ा होता है साथ में पदाई करना, इग्ज़ाम का तैयारी करना, संस्कृति कार्यों में रुचि लेना बहुत ही आनंद आता था।
3. कॉलेज का दोस्त: मेरा कॉलेज ओपन उनिवरसिटी IGNOU से हुआ है तो इसमें मेरा कोई न्यू ओर खाश दोस्त नहि बन पाया लेकिन मेरे ही एरिया के कुछ दोस्त साथ में पदाई कर रहे थे और उन्ही लोगों से दोस्ती भी था और है भी।
4. ऑफ़िस का दोस्त: दोस्तो ऑफ़िस में तो हज़ारों दोस्त बने लेकिन सभी खाश नहि होने पाए। और शायद मैं किसी के लिए भी खाश नहि होऊँगा लेकिन मेरे लिए कुछ दोस्त खाश है उनका नाम और कुछ जानकारी मैं ज़रूर देना चाहूँगा। सभी कैटेगॉरी में आने वाले दोस्तों के बारे में थोड़ा जानकारी नीच इस लेख में दूँगा और अभी उनके साथ कैसा रिसता है उसके बारे में बताऊँगा।
बचपन का दोस्त जिसको लौगौटिया दोस्त भी कहते है ? childhood friend kise kahte hai ? bachpan ke dost kise kahte hai ?
दोस्तों जैसे की अप सभी जानते होगे कि बचपन में बहुत सारे दोस्त (लौगौटिया दोस्त) होते है, मेरे मुख्य रूप से 5 दोस्त थे जो मेरे ही गाव लोहरगारा के मेरे ही बस्ती में रहते थे। 4 लड़कियाँ भी थी जो बाद में पता चला कि मेरे बहन ही लगती है (गाव घर का) । उनका नाम को इंटरनेट पर लिखना उचित नहि है
1. राम बिशेष साह: दोस्तों ये मेरे बचपन के सबसे करीबी दोस्तों में से एक है हम दोनो का दोस्ती ऐसा था कि हमलोगो एक साथ में खाना खाते थे, एक साथ नहाते थे और एक ही साथ सोते भी थे। हमारे घर एकदम पास में इनका भी घर था और अभी भी है हम दोनो की इतने गहरी दोस्ती थी की 24 घंटे में 20-22 घंटा साथ में जाता था।
अभी भी राम बिशेष जी मेरे अच्छे दोस्त है और बहुत ही करीबी है अभी ओ अपने रोज़ी रोटी के लिए किराना शाप चलाते है और नेचर में एक अच्छा इंसान भी है ये एक मिडल क्लास फ़ैमिली से तलुक रखते है लेकिन ये एक अच्छा इंसान और इनमें एक अच्छा पति, पापा और बेटा तिनो का गुण है। मुझे गर्व होता है इनपर की मेरे सभी दोस्तों को ऐसा ही होना चहिए था।
2. गुड्डु मेहता: ये मेरे बचपन के सबसे करीबी दोस्तों में एक है, इनके साथ भी बहुत से समय हम लोगों खेलते थे। फिर कुछ दिनो बाद इनका मकान दूसरे बस्ती में बन गया और ओ वही शिफ़्ट हो गये और धीरे धीरे हमारी दोस्ती भी कम होते चला गया अभी ये BE गिनजिनियर है लेकिन PSC का तैयारी कर रहे कभी कभी बात होती है।
3. पप्पू चौधरी: दोस्तों ये भी हमारे बचपन के दोस्त है लेकिन थोड़ा बड़ा होने के बाद के है, अभी ये CRPF के जवान है इनके फ़ैमिली वाले थोड़ा अकड़ आप दबाँग टाइप के कह सकते है इनका भी स्वभाव कुछ मिलता जुलता था फिर भी मेरे दोस्त थे अभी भी है लेकिन दोस्ती के मेन गाँठ जो विश्वाश होता है ओ इनपर नहि कर सकता हूँ मैं।
जब से CRPF के जवान बने है तब से उनका स्वभाव थोड़ा बदल गया है 4-5 बार मैं उनको फ़ील किया तो लगा की अब उनसे ज़्यादा लगाव रखने लायक़ नहि है मेरा मानना है कि दोस्ती कोई खून की रिश्ता नहि है इसमें केवल और केवल विश्वाश का रिश्ता है। दोस्ती में कभी विश्वाश को एक बार भी नहि टूटने देना चहिए, जो है उसको आपस में साझा करके एक दूसरे को समझे लेकिन विश्वाश घात कभी मत कीजिए।
4. सुनील साह: ये भी बहुत करीबी दोस्त थे लेकिन ये गाव में रहते है तो कांटैक्ट बहुत कम होता है और ये गाव के परिवेश में घुल मिल गये है तो इनको अभी बचपन के दोस्ती को इतना इम्पोर्टेंट नहि देते है, ये राज मिस्रि है मेरा मकान यही बनाए हाँ लेकिन दोस्तों वाला व्यवहार नहि किए मेरे साथ।
5. मनोज साह: सुनील साह और दोनो चचेरा भाई गाव के परिवेश में घुल मिल गये है तो इनको अभी बचपन के दोस्ती को इतना इम्पोर्टेंट नहि देते है, इनका गाव में होटेल है लेकिन ये भी एक नोर्मल बंदे की तरह ट्रीट करते है नहि समझते की हमलोग बचपन के दोस्त है। सुनील साह और मनोज साह: ये दोनो दोस्त थे, अभी उनके व्यवहारो से नहि लगते है।
स्कूल का दोस्त
1. गोरख नाथ मेहता: ये एक Software Engineer है क्लास 6 से लेकर अभी तक साथ में काम करते है लेकिन अभी तक इनको समझ नहि पाए, इनका व्याख्या अगर इस लेख में करूँगा तो काफ़ी बड़ा हो जाएगा, इसके लिए एक Separate लेख लिखना पड़ेगा।
2. गोरख मेहता: ये गोरख नाथ मेहता के ख़ानदान से तलुक रखते है साथ में 12 क्लास तक साथ पड़े है थोड़ा मंद बूद्ह्धी के थे इसलिए 12 क्लास में 2 बार फैल हो गये थे फिर बाद में पूरक इग्ज़ैम देकर पास हुआ एंड कुछ दिनो के बाद CRPF के जवान बन गये। लेकिन इनका माइंड में कोई परिवर्तन नहि हुआ, अभी देखने और मिलने के बाद कोई रीऐक्शन नहि। हो सकता है CRPF के जवान बनने के बाद इनको लगता होगा कि ओ बड़े आदमीं बन गये तो हमलोग से बात नहि करेंगे।
3. चंदन मेहता: चंदन मेहता जी गोरख मेहता के रिस्तेदर दार है इनके साथ नोर्मल रीऐक्शन अभी तक है जैसे पहले स्कूल लाइफ़ में चलता था।
4. हरेंद्र पासवान: स्कूल लाइफ़ में 10th क्लास तक मेरे बेस्ट फ़्रेंड यही थे, और अभी भी है। हरेंद्र पासवान जी गाव में रहते है और मैं दिल्ली में इसलिए थोड़ी कांटैक्ट कम हो गया है लेकिन अभी भी सब कुछ पहले वाले फ़्रेंड्शिप के तरह है। लव यू हरेंद्र भाई।
5. सतेन्द्र चौधरी: स्कूल समए के अच्छे फ़्रेंड और स्कूल के जाने माने बचो में इनका स्थान था इनका व्याख्या करने का स्टाइल बहुत यूनीक था इनका मामा के घर हमारे गाव में था इसलिए इनके साथ फ़्रेंड्शिप अच्छा हो गया था कुछ दिनो बाद हमलोग डालटेंगंज साथ में पड़ने गये थे इसमें सतेन्द्र जी बहुत हेल्प किए थे उनका अहसान भूलने योग्य नहि है.
बाद में हमदोनो में कुछ तनाव आ गया था उस समय मुझे ज़्यादा ग़लत सही में फ़र्क़ नहि चलता था मानता हूँ मेरा गलती होगा लेकिन बात आगे तक चला गया वही से हमदोनो में हल्का दरार हो गया। फिर कुछ दिन बाद सतेन्द्र जी पिछले सारे बटो को भूल कर हमलोग एक हो गये। लेकिन कहते है न कि जिसको बिगना होता है किसी न किसी तरह बिगड़ ही जाता है हमलोग की एक क्लास में एक लड़की पड़ती थी और ओ उनका गर्ल फ़्रेंड थी हमने अपने दिल्ली वाले फ़्रेंड के साथ मिलकर उस लड़की को अभद्र सब्द बोले इसके वजह से सतेन्द्र जी ग़ुस्सा हुए तो आज तक बात नहि करते है।
कुछ दिन बाद मुझे रियलाएज हुआ की हमने बहुत बड़ी गलती कर दिया। फिर मैं पछतावा में बहुत दिने अपने अप को कोशा। और एक बार मौक़ा मिला FB पर और मैं माफ़ी माँगा लेकिन अभी तक माफ़ नहि करि ओ लड़की, मुझे उसका माफ़ी का इंतज़ार रहेगा और मैं कभी उसके पास जाकर उससे माफ़ी माँगुगा। नहि तो मुझे जब जब याद आएगा तब तब मुझे अपने आप से नफ़रत सी होती रहेगी।
सतेन्द्र भई अगर मेरा संदेश अप तक पहुँचे तो मुझे माफ़ कर देना। शायद अप मुझे स्टार्टिंग में साथ नहि देते तो मैं कही और होता। आपका ये अहसान कैसे भूल सकता हूँ भाई।
6. राकेश कुमार गुप्ता:
दोस्तों ये बहुत ही खाश है और इनका एक Separate लेख बनेगा, शॉर्ट में जानिए की इनके लिए मैं बहुत कुछ किया ये करने का उद्देश्य सतेन्द्र जी से ही मिला लेकिन गोरख नाथ मेहता मुझसे बोलता था प्रदीप राकेश तुम्हें अपना फ़्रेंड नहि मानता है केवल तुम मानते हो लेकिन मैं उसके बतो पर ध्यान नहि दिया बाद में मुझे भी अनुभव हुआ की गोरख सही बोल रहा था। उसके बाद उनसे कांटैक्ट छूट गया।
7. अजय चौधरी: ये भी आहूत अच्छा दोस्त थे लेकिन अभी कोई सम्पर्क नहि है इनसे।
8. अनिल मेहता: ये मेरे ही गाव के रहने वाले है इनके साथ भी अभी तक नोर्मल दोस्ती है।
कॉलेज का दोस्त
1. गोरख नाथ मेहता: दोस्तों गोरख स्कूल, कॉलेज एंड अभी भी दोस्त है ओवर ऑल अभी कि बात करे तो ओ अच्छा है।
2. श्रीराम शर्मा: दोस्तों श्रीराम शर्मा, राकेश कुमार शर्मा, अनूप चौबेय, की बात करे तो ये तिनो हमलोग से एक 1 क्लास सिनीयर थे लेकिन दिल्ली में आने के बाद हमलोग एक ही फ़्लैट में रहने लगे तो हमसब दोस्त बन गये.
बाद में केवल मैं और श्रीराम दोनो ही 2009– 2015 तक साथ में रहे फिर सादी होने के बाद हमलोग अलग हुए लेकिन अभी भी श्रीराम के साथ अच्छा बनता है।
3. धर्मेंद्र चौधरी: ये भी हमारे गाव के ही रहने वाले है दिल्ली आते समय 2009 में धर्मेंद्र जी बहुत हेल्प किए थे इनके साथ भी अभी सब कुछ अच्छा चलता है इनका अहसान भी भूलने योग्य नहि है।
ऑफ़िस का दोस्त:
ऑफ़िस का दोस्त दोस्तों, ऑफ़िस लाइफ़ में बहुत सारे दोस्त बने लेकिन जो स्पेशल है और जिन्होंने मुझे सजेस्सन और दोस्ती निभाए उनका नाम और उनके बारे में शॉर्ट में बताता हूँ।
1. आशीष कुमार
2.दीपक सिंह छतरी
3. चंदन कुमार सिंह
4. रितेश कुमार सिंह
5. दीपक सोनी
6. विपिन सर: बहुत ही अच्छे इंसान है थोड़ा फ़नी है लेकिन इनके दिल में एक अच्छा इंसान बैठा हुआ है उन्होंने मुझे बहुत हेल्प किया।
7. राधिका गोला
8. संघ प्रिया विधिशा
9. नेवीदिता कुमारी
10. वरुण सर: बहुत हेल्प फूल इंसान
11. समीक्षा
12. सौरभ श्रीवास्तव: ये मेरे बहुत क्लोज़ फ़्रेंड है,हमलोग वर्क toghather करते थे।
13. गजेंद्र सिंह चौहान: ये मेरे बहुत क्लोज़ फ़्रेंड है,हमलोग वर्क toghather करते थे।
14. अमेरेश सिंह
15. अरविंद कुमार यादव
16. राहुल कुमार दत्त
17. दाविनदर कुमार: Drupal developer था बहुत हेल्प फूल था लेकिन पंजाबी होने के कारण दाविनदर में ईगो बहुत ज़ायद था और बहुत ज़्यादा पोलटिक्स खेलता था और जॉब छोड़ने के बाद बिल्कुल ख़तरनाक हो गया हमलोग कभी सोचे भी नहि थे की ऐसा बिहेव्यर करेगा। BTW ओ Drupal सीखने में बहुत हेल्प करा था इसलिए धन्यवाद के पात्र है।
18. भगेश कुमार
19. आदित्य कुमार
20. रागिनी मैंम: ये बहुत ही हेल्प फूल प्रोजेक्ट मैनेजर रही है, और मैं इनको अपने बड़ी बहन मानता हूँ।